31-12-16          ओम् शान्ति          “अव्यक्त  बापदादा”          मधुबन

“दिलवाला एक है, दिलवाले अनेक हैं, सबके दिल में मेरा बाबा समाया हुआ है, इसी सुखमय जीवन में मजा है, कुछ भी हो इशारा मिलते ही एकरस अवस्था में स्थित होने की प्रैक्टिस करो, आर्डर प्रमाण अतीन्द्रिय सुख में समा जाओ।”

ओम् शान्ति।

सभी के मन अन्दर कौन समाया हुआ है? सारी सभा में इतने होते हुए भी सभी एक ही बाप की तरफ कितने प्यार से दृष्टि ले रहे हैं। हर एक की दृष्टि में बाप और बाप के बच्चे अति स्नेह रूप से समाये हुए हैं। सभी की दिल एक ही बात कह रही है मेरा बाबा, मेरा बाबा बस। सभी कितने प्यार से अपनी याद दे रहे हैं। भले कितने भी बैठे हैं, कहाँ भी बैठे हैं लेकिन सबके दिल में एक ही याद है, वह क्या! मेरा बाबा। सभी की दिल में क्या है? बस मेरा बाबा। सबके दिल में बाबू के प्यार के गीत कहो, कविता कहो समाया हुआ है। सबकी दिल में एक ही गीत बज रहा है वाह मेरे दिल का बाबा। बाबा और मैं, सबके दिल में यही है ना! मैं और मेरा बाबा। दो होते भी एक हैं। हर एक के दिल में यह एक ही बाबा समाया हुआ है। हर एक अपने आप से पूछो मेरे दिल में कौन? कमाल तो यही है कि दिल अनेक हैं लेकिन समाया हुआ एक ही है। हाथ उठाओ आपके दिल में कौन? कितनी दिल वाले हैं लेकिन सभी की दिल में समाया एक ही है। यही कमाल है। सभी की दिल में एक है, यह एक इतना प्यारा है जो कितना भी भुलाने की कोशिश करते तो भी भूलता नहीं है। याद बढ़ती ही जाती है। यही कमाल है जो इतनी सारी सभा क्या कहेगी! मेरा बाबा। सबके दिल में एक की ही याद है, मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा। और इसमें प्यार कितना समाया हुआ है। सभी के दिल में एक ही बाबा समाया हुआ है। कितने बैठे हैं। लेकिन दिल में समाया हुआ एक ही है। और सब कोई जानते हैं कि इनके दिल में इस समय कौन है? मैजारिटी दिल में समाया हुआ वह एक ही है। भले अनेक बैठे हैं लेकिन यह सभा वह है जिसके दिल में एक ही बाबा समाया हुआ है। सबके दिल में कौन? मेरा बाबा। और बाबा कितना प्यारा है? भले इतने लोग हैं लेकिन मैजारिटी सबके दिल में बाबा ही समाया हुआ है। मेरा बाबा, दिल में ऐसा समाया हुआ है जो दिल से निकलना भी मुश्किल है। सभी प्यार से क्या कहते हैं, अगर एक दो में मिलते हैं तो क्या कहते हैं। मेरा बाबा कैसा है, मेरा बाबा क्या कर रहा है! मेरा बाबा, मेरा बाबा। गीत भी है ना - गायेंगे गीत, तो वह एक ही होगा। तो अभी यहाँ बैठे हुए इतने लोगों के बीच में अगर हाथ उठायें तो सबके दिल में कौन है! सब कहेगे बाबा, मेरा बाबा। सब ऐसे सीधा हाथ उठाओ। सबका लम्बा हाथ कितना मजेदार लगता है। बाहर गाते नहीं हैं, क्योंकि बाहर गायेंगेना, तो गाने में फर्क पड़ जाता है। बाकी दिल में सबके एक ही है। सबकी दिल क्या कहती है? मेरा बाबा, मेरा बाबा। और सभी एक बाबा को याद करके बहुत खुश हो रहे हैं। देखो, सबकी शक्लें देखो। सबकी दिल एक ही गीत गा रही है मेरा बाबा, मीठा बाबा। इतने सब दिल होते सबके दिल में कौन? मेरा बाबा। और मजा कितना आता है, कुछ भी हो लेकिन हमारे दिल में मेरा बाबा, मेरा बाबा। ऐसे सदा मेरा बाबा मेरे दिल में है, यही देख सब खुश होते हैं। सारी सभा इतनी बैठी है लेकिन सबके दिल में एक ही है, ऐसे है ना! दिल में सबके क्या होगा? बाबा। एक ही दिल में है। आप भी कहेगे मेरा बाबा, वह भी कहेगा मेरा बाबा, वह भी कहेगा मेरा बाबा। कितना मस्त है। तो सदा ही ऐसे दिल में बाबा है ही है। कोई भी देखे तो क्या दिखाई देवे, मेरा बाबा बैठा है। चारों ओर देखे तो कौन बैठा है! मेरे अन्दर बाबा बैठा है, मेरा बाबा।

बाबा हमेशा कहते हैं बस मेरा बाबा ऐसा छिपाकर रखी जो कोई निकाल ही नहीं सकता। सबकी शक्लें देखो, अभी जो बैठे हैं मेरा बाबा बस यही दिल में हैं, तो देखो सबकी शक्ले कैसी हैं। मुस्कराती हुई हैं। कितना अन्दर ही अन्दर खुशी में नाच रहे हैं। मेरा बाबा, मेरा आ गया ना, मेरे दिल का बाबा है। कहने में भी कितना मीठा लगता है! मेरा बाबा । तो ऐसे ही सदा दिल में कुछ भी करो लेकिन मेरा बाबा नहीं भूले। सभी की दिल के अन्दर एक ही है। भले कोई-कोई की न भी हो लेकिन वास्तव में यह सभा कौन सी है! दिल में दिलाराम। सबकी दिल देखो तो क्या है? दिलाराम। ऐसे ही बाबा चाहता है कुछ भी करो मेरा बाबा यह दिल में समाया हुआ हो। सभी की दिल में क्या है? सारी सभा के दिल में अभी क्या होगा! मीठा बाबा। ऐसी सभा जो दिल में एक ही दिलाराम हो। दिलाराम एक, दिलवाले कितने हैं। सबके दिल में एक बाबा ही छाया हुआ है, कितना भी कोई कहे ना। नहीं, दिल में और कुछ है, तो वह ठहर नहीं सकते। मेरा बाबा। कितना मजा है सबके दिल में एक ही है। वायुमण्डल देखो कितना सुखमय, अतीन्द्रिय सुख की सभा देखनी हो तो देखो। अगर कुछ भी हो तो सबकी दिल बोलेगी वाह बाबा वाह! सबकी दिल में कौन! और मजा तो यह है जो इतने होते हुए भी, भले बीच में कोई और भी हो सकता है लेकिन मैजारिटी इस समय जब बाबा, बाबा कह रहे हैं तो एक ही बाबा सभी की दिल में है। और मजा कितना आता है इसमें। ऐसे इस सभा के अन्दर से वायब्रेशन क्या लगता है? एक ही बाबा की याद है। तो सभी से पूछेगे आपकी दिल में कौन! सब कहेंगे मेरा बाबा। तो मजा है ना! सभा एक लेकिन है एक में एक, एक ही सभा है, एक ही जादूगर है। सभी की दिल क्या गा रही है। वाह मेरा बाबा वाह! बोलो अभी। तो रोज़ सुबह को जब तैयार होकर जाते हो, वैसे तो सब काम करते हुए भी बाबा ही याद है तो भी अगर तैयार होके याद में काम करने या कुछ भी करने जाते हो तो मजा कितना आता है। ऐसा कोई है जो आज अभी, सतयुग में नहीं अभी, बाबा याद नहीं हो। वह है कोई, जो बाबा की याद में मेहनत कर रहे हैं, है कोई? हाथ उठाओ। देखो कितनी अच्छी सभा लगती है। सारी सभा देखो आके कितनी अच्छी लगती है। और मजा है याद करने में और क्या है! मजा ही है ना! और चाहिए क्या हमको। अगर कोई भी पूछे, तुम्हारे मन में क्या है? तो क्या कहेगे, बाबा। बाबा को दिल दे दिया है। जब भी याद करो तब मेरा बाबा। तो एक की याद में मजा आता है ना! मजा आता है? क्योंकि एक की याद है ना, बहुत हैं ही नहीं जो कहे पता नहीं याद आये न आये। एक बाबा है। और इस याद से क्या नहीं मिलता है? जिसको जो चाहिए, खुशी चाहिए, या रमत-गमत चाहिए, सबके दिल में खुशी की लहर क्योंकि अभी हमारा टाइम ही है खुशी की याद। तो एक सेकण्ड में खुशी आई। कि मेहनत लगती है? इतनी मेहनत नहीं जितनी मुहब्बत है। हर एक अपनी-अपनी मौज में बैठा है।

तो लाइफ है तो यह, जिसमें एक की ही याद है, एक ही मनमनाभव! अभी बाबा को ही याद करो और सब भूल जाओ, तो सेकण्ड में सब करेंगे ना। मेहनत है क्या। बाबा कहे अभी ओम् शान्ति। तो क्या आप सभी एक सेकण्ड में ओम् शान्ति स्वरूप में टिक सकते हो? हाँ कहो या ना! मजा तब है जब एक सेकण्ड में कहा तो एक सेकेण्ड में ही यहाँ वहाँ से हाँ का रेसपान्ड आवे। अगर यहाँ कोई-कोई में नहीं आवे, कोई-कोई का आवे। वह भी ठीक नहीं। जब बाबा ने कहा मनमनाभव तो सब मनमनाभव हो जाने चाहिए। यह हो सकता है ना! बाबा सिर्फ कहे चलो सभी अपने याद की यात्रा में तो सेकण्ड में सब पहुंच जायें। आप सभी जो बैठे हैं तो क्या एक सेकण्ड में बाबा की याद में बैठ सकते हैं ना! और मजा कितना है सब एक ही की याद में। कितनी सुखदाई जीवन है, वाह! जो समझते हैं हमारी अभी की अवस्था सुखमय है वह हाथ उठाओ। अच्छा। देखो, आगे पीछे सभी अपने फेस को देखो, क्या है! सब प्रेम में, याद में समाये हुए हैं। यह अवस्था भले कितना भी टाइम कहो, हो सकता है, लेकिन प्रैक्टिस चाहिए। अभी सभी के लिए कहते हैं एक सेकण्ड़ नहीं, एक मिनट में सभी इसी नशे में वाह मेरी अतीन्द्रिय सुखमय जीवन, अगर ऐसे बाबा कहे तो एक सेकण्ड में हर एक अपनी ऐसी अवस्था बना सकते हैं? हाथ उठाओ। सभी अपना सीधा हाथ उठाओ, यहाँ आकर देखो सभा कितनी अच्छी लगती है। यह प्रैक्टिस चाहिए। कुछ भी हो, भले कोई दर्द या कोई ऐसी बात होवे तो हमारी शक्ल में फर्क नहीं आवे, मुस्कराते तो रहें। ऐसी प्रैक्टिस होनी चाहिए। आर्डर मिले बस अभी अतीन्द्रिय सुख के अन्दर बैठ जाओ तो बैठ सकते हैं? अभी दो मिनट सभी एक ही रस में बैठे। अतीन्द्रिय सुख इस लहर में बैठकर देखो, कितना मजा आता है। कितना इस अतीन्द्रिय सुख के झूले में झूलने में सुख है। कोई भी बात हो, कुछ भी सामने आवे लेकिन यह सुख नहीं भूले, यह हो सकता है! होता है। आप कही हो सकता है नहीं होता ही है क्योंकि हमारी जीवन है ही क्या! आप अपनी दिल से पूछो दिल में क्या है? आप देखी अपनी दिल में, कोई दुख है, कोई अशान्ति है। अगर है तो उसका कारण जो है वह पूछ भी सकते हैं, खत्म कर सकते हैं। तो बाबा कहते हैं मेरे बच्चे, ऐसे कहेगेना, मेरे बच्चे और खुश नहीं हो यह तो यह हो नहीं सकता कि मेरे बच्चे मैजारिटी खुश होंगे। अभी मैजारिटी सच्ची बताओ अन्दर में कोई घुटका तो नहीं है! क्योंकि हमारी जीवन क्या है। अगर परिचय दो तो क्या देगे। सुख शान्ति आनंद प्रेम यह है हमारी जीवन। ऐसे है? कभी भी देखो आपको तो यह नहीं हो कि अभी यह मेरी जीवन नहीं है, क्यों दूसरी जीवन आई क्यों। जब बाबा का हुक्म है, तो अभी इसी में रहना है तो आप छोड़ो क्यों! यह अवस्था जो है सुखमय जीवन यह सदा रहनी चाहिए। तो आप कितने हैं जो समझते हैं तो मैजारिटी ऐसी ही रहती है? वह हाथ उठाओ। अच्छा उठाते तो हैं। पुरुषार्थ करें तो क्या बड़ी बात। जैसे हम अपनी अवस्था को स्थित करें वैसी होगी। आखिर भी मालिक कौन! मालिक तो हम ही हैं ना! सिर्फ इसमें अटेन्शन चाहिए। अटेन्शन यहाँ-वहाँ हो जाता है तो वह भी चक्कर लगा देता है। तो सारे दिन में यह अनुभव करना चाहिए क्योंकि यह अभ्यास बहुत जरूरी है। आखिर भी कोई भी बातें आवें, अपना एकरस की अवस्था का इशारा मिले और उसमें ठहर जायें। यह अभ्यास सारे दिन में, हर एक को अपने रिहर्सल में होना चाहिए। अच्छा - एक घण्टा ऐसी अवस्था में बैठा तो कोई बड़ी बात तो नहीं है, मेरी अवस्था हैना। अगर नहीं बैठते हैं तो हमारी कमी है। अगर इस अवस्था में स्थित रहने की कोशिश करो तो बहुत अच्छी आपकी जिदगी ऐसे महसूस होगी जैसे सुखमय शैया पर लेटे हुए हो। यह प्रैक्टिस जरूर होनी चाहिए। कुछ भी हो लेकिन मेरी अवस्था मेरे हाथ में होनी चाहिए। तो इतने सभी बैठे हैं, तो कहा उस समय अपनी अवस्था ठहर सकी। यह पुरुषार्थ अपना देखो, या सोचने लगे यह भी बैठा है, यह नहीं बैठा है। अपने हाथ में होना चाहिए। स्थिति में स्थित होना चाहते हैं तो होवे ना। हो नहीं सके तो इसको क्या कहेगे? योगी। और धीरे-धीरे अगर यह प्रैक्टिस होती जाए जब चाहे तब इसमें टिक सके। टिकने की कोशिश तो सभी करते ही होंगे सारे दिन में। वह अपनी चेकिग अपने आपे ही करेंगे। सारे दिन में कर सकें तो अपने हाथ में है। अपनी बुद्धि को स्थित करना अपने हाथ में है। और कर सकते हैं। अभी सभी बैठे थे तो अपनी अच्छी अवस्था अनुभव किया? जिसने किया, दिल मानती है वह हाथ उठाओ। अच्छा। हाथ तो सभी ने उठाया है। अच्छा, किसकी थोड़ी होती होगी किसकी ज्यादा होती होगी। लेकिन जितना समय कहें उतना समय होनी चाहिए जरूर। सभी ने ट्रायल की है, यह ट्रायल जरूर करते रहो। कोई भी समय अगर यह अवस्था जिस समय चाहे उस समय बना सके तो उसकी योगेश्वर की लाइन में ला सकते हैं। अगर कोई चाहे तो मैं इस समय ऐसे वायुमण्डल में भी जैसी अवस्था मैं चाहूं वैसे हो सकती है, वह हाथ उठाओ। कर सकते हैं? हाथ तो बहुतों ने उठाया है। अच्छा है, अगर ऐसे है जब चाहे तब आधा घण्टा तो बैठ सके। यह अभ्यास बीच-बीच में अपने आपेही करना चाहिए। सिर्फ अटेन्शन थोड़ा देना पड़ता है क्योंकि आखिर भी कन्ट्रोल आफ माइन्ड की स्टेज जो है, उससे थोड़ा आगे-आगे चलते जाना चाहिए। भले इतने सब इकट्ठे बैठे हैं लेकिन इकट्ठे बैठे हुए भी समझो आर्डर मिलता है, आधे घण्टे का, सवा घण्टे का तो जब चाहे जितना चाहे उतना टाइम अपने को कन्ट्रोल कर सके, यह अभ्यास भी जरूरी है। कभी कोई भी अपनी अवस्था हो सकती है लेकिन अवस्था भी हमारी ऐसी हो जो चाहें, जितनी चाहें उतनी हो। भले टाइम तो अभी दिन का है फिर भी अगर ऐसे समय पर कन्ट्रोल करने चाहे तो कन्ट्रोल कर सको, यह प्रैक्टिस भी होनी चाहिए। कर सकते हो, हो सकता है इतना। समझो साधारण रूप में अभी बैठी हो अभी कन्ट्रोल का आर्डर मिलता है। अभी आधा घण्टा आप इस अवस्था में स्थित हो तो कर सकते हो या बार-बार अटेन्शन, अटेन्शन देना पड़े। भले वह भी होगी लेकिन यह प्रैक्टिस जरूर हो कि जब चाहें तब अपने आपको रोक सके। ऐसे कौन हैं जो रोकने चाहें तो रुक सकते हैं, वैसे हाथ उठाओ। जो रोकने चाहे तो रोकने चाहें के बाद वह अवस्था रूक सकती है। यह भी प्रैक्टिस होनी चाहिए क्योंकि समय अभी ऐसा आना है, जो आर्डर मिले तो आर्डर को कर सके। आर्डर माना आर्डर। ऐसे नहीं आर्डर अभी मिला और प्रैक्टिकल में आवे उसमें टाइम लगे। यह प्रैक्टिस जरूर होना चाहिए किस समय भी आप दिन में फ्री होते हो और अगर आर्डर करो तो आर्डर होता है। ऐसी अवस्था का पुरुषार्थ होना चाहिए। यह अभ्यास जरूरी है। चलो, 10 मिनट मैने समझा मैं बैठूं और 5 मिनट बैठ सकते हैं कितना भी हो लेकिन आर्डर मानने में आवे यह जरूरी है। आप समझते हो तो ऐसा अभी हो सकता है? अच्छा।

सेवा का टर्न यू.पी. बनारस, पश्चिम नेपाल का है, 11 हजार यू.पी. से आये हैं, टोटल 23 आये हैं:- सभी ऐसा पुरुषार्थ कर रहे हो, और करते रहना क्योंकि हमारी प्रैक्टिस होगी तो हम दूसरों को कह सकेंगे। नहीं तो कहने में भी हमारे को शर्म आयेगी। तो यह प्रैक्टिस होनी चाहिए। कभी भी कोई समय ऐसा आ सकता है जिसमें हमारे को पेपर देना पड़े तो यह प्रैक्टिस होनी चाहिए। तो सभी खुश हैं? हाथ उठाओ। प्रैक्टिस करते करते सब सहज हो जायेगा, कोई मुश्किल नहीं। सिर्फ करते रहें। चलो कोई समय ऐसा है जिसमें थोड़ा टाइम मिल सकता है। भले थोड़ा टाइम मिले, प्रैक्टिस चाहिए। ऐसी प्रैक्टिस को नहीं छोड़ना। यह प्रैक्टिस अपने आपको आपेही कराते रहना। यह प्रैक्टिस करो, जितना टाइम चाहें उतना टाइम पूरा करें। अभी तो सारा दिन के थके हुए होंगे, अभी बाबा नहीं कराता है। भले आराम से करना, लेकिन करते रहना। जितना टाइम चाहें उतना टाइम का धीरे-धीरे अभ्यास करते रहो। और हो जायेगा। बाबा का वरदान है।

डबल विदेशी भाई बहिनें 50 देशों से 600 आये हैं:- (छोटे बच्चे गीत गा रहे हैं।) भले जोर से गाओ। (मेरे संग संग चलते बाबा)

दादियों से:- आप समझती हो, हो सकता है? अगर अटेन्शन रखेंगे तो क्या नहीं हो सकता है? सब हो सकता है लेकिन अगर दृढ़ निश्चय है तो। करना ही है। समझो, अभी शुरू नहीं करते हैं, जैसे अचानक ही कहते हैं, आज समझो अचानक कहते हैं कल से थोड़ा एक घण्टा करना, तो कर सकते हैं? जो कर सकते हैं, वह हाथ उठाओ। थोड़े हैं। कोई बात नहीं।

बाबा नया साल है? (निर्वेर भाई को) आप हैपी न्युईयर करो तो सब करें। सबने बहुत उमंग-उत्साह से किया, बहुत अच्छा। हैपी न्युईयर।

(बृजमोहन भाई ने बताया - दादी जानकी जी का 101वां बर्थडे है, उनका बर्थ डे कल शाम को धूमधाम से मनाया जायेगा, दादी जी को सबकी तरफ से बहुत-बहुत मुबारक हो।)

(रमेश भाई ट्रामा सेन्टर, शान्तिवन में हैं, बापदादा को उनकी याद दी) रमेश भाई को नये वर्ष की बहुत-बहुत याद देना। डाक्टर्स ने जो ट्रीटमेंट दी हैं वो चालू रखो। बच्चा बापदादा की नज़रों में है। बापदादा शक्ति दे रहे हैं।

(बापदादा ने सभी को नये वर्ष की मुबारक दी)

सभी को नये साल की मुबारक सुनकरके अच्छा लग रहा है ना। सभी अन्दर ही अन्दर खुश हो रहे हैं। सिर्फ क्या है, समय ऐसा है जो सभी को भूख भी लगी होगी, इसलिए जा रहे हैं। नया साल जो अभी शुरू हो रहा है, उसकी आप सबको बहुत-बहुत बधाई हो बधाई। सभी को मुबारक मिली। यह मुबारक सभी सम्भालकर रखना और औरों को भी देना।

(निर्वेर भाई ने कहा यह बधाई जो बापदादा ने हम सबको दी है उसके लिए आप सबकी तरफ से बापदादा को कोटि कोटि धन्यवाद)

दादी ने कहा - बाबा ने आप सबको बहुत बहुत यादप्यार भेजी है। आप सबकी तरफ से हम भी बाबा को मुबारक देगे।
 



आज के दिन ब्रह्मा बाबा की याद ज्यादा आती है। यही दिन है जो अव्यक्त रूप में बापदादा के मिलन का सूक्ष्मवतन में पार्ट चला था और सभी की सूरत में बापदादा की मूर्त स्पष्ट प्रत्यक्ष हुई थी। सभी के मुख से एक ही शब्द निकला हमारा बाबा, हमारा बाबा हमसे मिल रहे हैं। वही दिन था जो आप सभी बच्चे अव्यक्त रूप में मिल रहे थे, जैसे अभी आप सब बाबा से मिल रहे हैं, तो यही दिन था पहला दिन, जो अव्यक्त रूप में बाप बच्चों से मिला था। हर एक के मन में वह दिन जिसको कहते हैं अव्यक्त मिलन, अव्यक्त रूप का मिलन भी हुआ और अव्यक्त रूप में बाबा के नयनों में अव्यक्त मिलन का पहला दिवस था। सभी के दिल में अव्यक्त मिलन का यह नज़ारा देखा और सबने अव्यक्त मिलन का दिवस मनाया। हर दिन की लीला अपनी अपनी है। तो यह अव्यक्त दिन दिल को बहुत प्यारा लगा है। व्यक्त देश में होते भी अव्यक्त मिलन, अव्यक्त दिवस, अव्यक्त नज़ारे चारों ओर सभी के नयनों में थे। ऐसा अव्यक्त मिलन सभा में, अव्यक्त रूप में बाप और बच्चों का मिलन दिवस मनाया जा रहा था। सभी के मुख से बाबा ओ बाबा, मीठा बाबा, साकार में भी अव्यक्त रूप को देखा और यह अव्यक्त दिवस मैजारिटी उसी स्नेह में उसी रूप में मना रहे थे। सभी के दिल में यह अव्यक्त मिलन, साकार रूप का मिलन, यह मधुर मिलन दिल को आकर्षित कर रहा था। जो साकार में मिलते थे, उन्हें अभी वही मिलन अव्यक्त मिलन बड़ा मधुर अनुभव याद दिला रहा था, मेरा बाबा, मीठा बाबा. याद है ना वह मिलन! कौन आये थे, पहले दिन? इतनी सभा से कौन आये थे मिलन मनाने, हाथ उठाओ।

देखो, वह मिलन का दिन बड़े दिल से मनाया था। तो जब मना रहे थे उस समय सब वेट कर रहे थे तो अभी अभी साकार में बापदादा मिलन मना रहे थे और अभी अभी अव्यक्त ब्रह्मा के रूप में मिलन मना रहे हैं। सब वह दिन याद कर रहे थे, वह अव्यक्त बाबा का पहला दिन था, सभी के नयन मिलन डे पहला दिन मना रहे थे। जैसे आज अव्यक्त मिलन मना रहे हैं, ऐसे ही अव्यक्त दिवस मना रहे थे। हर एक मन में अव्यक्त मिलन की खुशियां मना रहे थे। सभी की दिल तस्वीर के अन्दर आटोमेटिक वह दिन याद आ रहा है। बच्चों को बाबा, बाबा को बच्चे किस रूप में मिले होंगे? उसी दिन की याद आ रही है, जो आगे आगे बच्चे बैठे थे, वह उसी दिनों को याद कर रहे थे कि बाप और बच्चों का प्रत्यक्ष मिलन याद होगा कि कैसे वतन में यह पहला दिन का मिलन था। वैसे तो कुछ समय का मिलन था और सभी की शक्लें ऐसे थी जैसे यह दिन हमको सदा ही याद दिलायेगा, तो सभी ने यह दिन मिलन का दिन मनाया। बस सबके दिल में मेरा बाबा, मेरा बाबा, मेरा बाबा, नयन चमक रहे हैं। आप सब जो यहाँ बैठे हो दो दो नयन आप हर एक के हैं, कोई कोई होंगे जो बिचारे देख नहीं सकते होंगे लेकिन बाप भी बच्चों को देख रहे थे और बच्चे भी बाबा को देख रहे थे, दोनों के मुख से मेरा बाबा, मेरा बाबा, मेरा बाबा निकल रहा था। आप सोचो, उस समय का मिलन क्या नहीं होगा। वह दिन भूलना भी मुश्किल है। वह दिन भी याद करते हैं तो याद आता है, वह दिन याद रहता है खास, क्योंकि पहला दिन था जो निराकार से साकार, साकार से सूक्ष्म ब्रह्मा के रूप में बाबा सभी बच्चों से मिल रहे थे। वह सीन तो सभी को याद है ना। आंखों का पानी, आंखें वह दिन याद दिला रही थी। सबकी दिल कहती थी कि यह दिन जो हैं यह बहुत याद के खास दिन हैं। और जिस समय वह अव्यक्त मिलन बच्चे बाप से मना रहे थे, तो सोचो सारी सभा का क्या हाल होगा! सभी उस दिन की याद में ही चले गये। ऐसे सब याद में खोये हुए थे वह दिन भी सभी को याद होंगे, जो मधुबन आये होंगे उन्हों को तो बहुत याद होगा, वह याद बहुत ही गहरी थी। सभी के नयन गंगा जमुना नदी बन रहे थे। तो यह दिन विशेष है, सभी ने सोचा पता नहीं कैसे हम रहेगे! बाबा तो जानता था, बाबा बोले, यह प्यारा दिन है, रोने का दिन नहीं है। प्यार का स्वरूप क्या होता है, वह दिखाने के दृश्य दिखा रहा था। तो सभी ने अपने दिल का प्यार प्रकट किया। अच्छा।

सेवा का टर्न दिल्ली और आगरा का है :
15 हजार वहाँ से आये हैं, टोटल 22 हजार हैं:- अच्छा है, जो अभी आये हैं मिलने के लिए, वह सब खड़े रहें, बाकी बैठे। अच्छा है, बापदादा ने यह खास हाथ इसीलिए उठवाया, कि जितने भी आये हैं इन्होंने मिलन तो मनाया। मनाया ना सभी ने मिलन! और मिलन ने आपको होमवर्क भी दिया। क्या हमको करना है आगे, वह भी सुनाया। तो देखो, बाबा को कितना बच्चों का शुभ दिन याद रहता है। भूलता तो किसको भी नहीं है, भिन्न-भिन्न रूप से मनाते रहते हैं लेकिन हम और बाबा हर दिन की विशेषता भूल नहीं सकते। हर दिन की विशेषता याद दिलाती है और भिन्नभिन्न समय पर जो लीला चली है, वह दिव्य लीला कभी कोई लीला, कभी कोई लीला सभी ने देखी होगी।

डबल विदेशी, 30 देशों से 300 भाई बहिनें आये हैं:-
सभी नजदीक आ गये। बाबा को कितने बच्चे याद रहते हैं। हर बच्चा समय-समय पर आते हैं परन्तु जो याद आते हैं और पहुंच जाते हैं उन्हों का खेल भी अजीब है। आते हैं और मिल करके अपने दिल की बातें दिलाराम के आगे रखते हैं और फिर चले जाते हैं लेकिन वह बातें जिगरी दिल की बाते हैं ना! तो सारी सभा का वायुमण्डल, हाल का वायुमण्डल याद की दीवारों से सजे हुए नज़र आते हैं। सारी दीवारों पर ‘मेरा बाबा, मीठा बाबा, प्यारा बाबा’ यही लिखा हुआ है, बहुत अच्छी डिज़ाइन से लिखा हुआ नज़र आ रहा है। आपको नज़र आया? आया ना! जिसको वह नज़र आ रहा है वह हाथ उठाओ। तो आप भी अपने प्यार की निशानियां, जो देखा वह यादगार बन गया। यादगार दिन सदैव याद नहीं करना पड़ता है लेकिन वह दिन ही यादगार बन गये हैं।

दादियों से:- सभा देखी। (बाबा देखा) बाबा देखा तो सब कुछ देख लिया। सभी के दिल में प्यार के झूले में झुला दिया। सभी की शक्ले देखो अभी सभी झूल रहे हैं ना। सभी कहाँ बैठे हैं। सभी झूले में बैठे हैं, झूले में। सभी बाबा बाबा दिल ही दिल में कह रहे हैं, नहीं तो घमसान हो जाए। अभी सभी की दिल में क्या चल रहा है। बाबा, बाबा, बाबा। अच्छा है ना। बाबा भी बच्चों का प्यार देखकर खुश होता है कि कितना प्यार इन्हों के दिल में है और कितने दिल से वर्णन करते हैं। देखो बापदादा की दिल क्या कहती है! बतायें, तुम नहीं सुनाओ तो बाप बताते हैं। हर एक की शक्ल बोलती है। वैसे तो दूर दूर हैं, नहीं समझ सकें लेकिन हर एक दिल में बोलते हैं, दिल की बातें वह बापदादा के पास पहले पहुंचती हैं। सभी की शक्लें जो हैंना, वह फोटोग्राफर अपने छोटे उसमें (कैमरे में) बंद कर लेता है। और देखो, कोई कोई का फेस मुरझाया हुआ होता, पता नहीं क्या क्या सोचते हैं, लेकिन बाबा को वह बच्चे देखने में आते हैं जो सदा ही हर्षित रहते हैं। बस दिल में सदा ही कोई न कोई तस्वीर मिलने की रहती ही है। जैसे आप लोग रखते हैं ना कि खास यह मिलन डे है। (रतनमोहिनी दादी से से) तबियत ठीक हो रही है ना। जब यह सोचेंगे ना, बाबा हमको मिल रहा है तो आपको फीलिग आयेगी कि बाप मिल रहा है। बाप सूक्ष्म में तो दूर है लेकिन सूक्ष्म में बापदादा की सूरत दिल में समाई हुई है। दिल में तो हर एक समा सकता हैना। कुछ भी हो, आंधी हो, तूफान हो, क्या भी हो लेकिन दिल की मुलाकात, दिल का हालचाल, दिल का भोजन सब बहुत प्यार से स्वीकार होता है। सब खुश होते हैं। अच्छा।